Saturday 2 April 2016

बात हो रही है

किसी के दिन की बात हो रही है,
            किसी की रात की बात हो रही है|

कही दर्द की बात हो रही है,
            कही ज़ज्बात की बात हो रही है|

कही दो बदन सुलग रहे है तो,
          कही आशुओं की बरसात हो रही है|

हर बाजी जीतने वाला भी सोचे,
          क्यो ये मेरे साथ हो रही है|

आज तक जो खामोश रहा,
          क्यो महफ़िल मे उसकी बात हो रही है|

कही कहानी का अंत हो रहा है,
          तो कही नयी सुरुआत हो रही है ||

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