किसी के दिन की बात हो रही है,
किसी की रात की बात हो रही है|
कही दर्द की बात हो रही है,
कही ज़ज्बात की बात हो रही है|
कही दो बदन सुलग रहे है तो,
कही आशुओं की बरसात हो रही है|
हर बाजी जीतने वाला भी सोचे,
क्यो ये मेरे साथ हो रही है|
आज तक जो खामोश रहा,
क्यो महफ़िल मे उसकी बात हो रही है|
कही कहानी का अंत हो रहा है,
तो कही नयी सुरुआत हो रही है ||
किसी की रात की बात हो रही है|
कही दर्द की बात हो रही है,
कही ज़ज्बात की बात हो रही है|
कही दो बदन सुलग रहे है तो,
कही आशुओं की बरसात हो रही है|
हर बाजी जीतने वाला भी सोचे,
क्यो ये मेरे साथ हो रही है|
आज तक जो खामोश रहा,
क्यो महफ़िल मे उसकी बात हो रही है|
कही कहानी का अंत हो रहा है,
तो कही नयी सुरुआत हो रही है ||
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