Thursday 23 October 2014

इस बार नही आ पाऊँगा

दुख शायद तुमको भी होगा,
पर खुश मैं भी ना रह पाऊँगा|
कोशिश तो मैं बहुत करूँगा
पर इस बार नही आ पाऊँगा||

ह्रदय विषप्त मेरा भी होगा
नयनो मे नीर आ जाएगा
दहलीज पर लड़ते लड़ते हा
आंशु फिर से मर जाएगा||
उत्तरदायित्वओ से दबा हुआ हू
इतनी जल्दी ना जीत पाऊँगा
पर मन मैं एक विश्वास है
जल्दी घर वापस आऊँगा||
कोशिश तो मैं बहुत करूँगा
पर इस बार नही आ पाऊँगा.......

जब सूरज की मध्यम किरण
चौखट को छूने आएगी
हवा भी जब भीगी -2
खुश्बू हर तरफ महकाएगी|
घर के आगन मे बैठे जब
सब गीत खुशी के गाएँगे
मन ही मन गुनगुनता रहूँगा
पर साथ नही गा पाऊँगा||
कोशिश तो मैं बहुत करूँगा
पर इस बार नही आ पाऊँगा..........

Thursday 2 October 2014

धूम्रपान

गॉव-२ और गली-२ मे
फैल गया इसका कहर
संसार की सर्वाधिक बिक्री
वाला ये स्वादिष्ट जहर||

धूम मचा दे रंग जमा दे
जीते जी अर्थी उठवा दे
जिन्दो की अर्थी उठवाये
फिर भी बेवखूफ़ गुटका खाए||

हुई नपुंसक युवा पीढ़ी
केंसर ने किया अट्टहास
दातो का हुआ कबाड़ा
सेहत का हो गया सत्यानाश||

अक्ल का अँधा खाने वाला
जहर खरीद कर ख़ाता जाए
पैसे निर्माता देखो कैसे
जहर बेचकर माल कमाए||


रंग बिरंगे पैकेट मे है
ज़हरीला पान मसाला
केंसर की प्रयोगशाला
बन गया है खाने वाला|

गुटका हँस -२ के कहता है
मै कितना सर्वव्यापी हूँ,
हे मूर्ख मुझे खाने वाले
मै यमराज की कार्बन कापी हूँ|