क्रोध तन को जलाए,
क्रोध से कोन जीत पाए
क्रोध की ज्वाला ऐसी,
सूरज की गर्मी जैसी
क्रोध से तन ऐसे कापे,
सागर मे ज्वार जैसे जागे
क्रोध मे सारे रिश्ते भुलाए,
क्रोध मे कोई साथ न आए
क्रोध मे जो नर जला है
चिताअग्नि मे जलने से बुरा है|
क्रोध से कोन जीत पाए
क्रोध की ज्वाला ऐसी,
सूरज की गर्मी जैसी
क्रोध से तन ऐसे कापे,
सागर मे ज्वार जैसे जागे
क्रोध मे सारे रिश्ते भुलाए,
क्रोध मे कोई साथ न आए
क्रोध मे जो नर जला है
चिताअग्नि मे जलने से बुरा है|
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