Saturday 13 June 2015

जख्म गहरा था

जख्म गहरा था मगर, हमने दिखाया ही नही|
उसने पूछा नही, हमने बताया ही नही||
कुछ ना समझे वो अगर, इसमे खता मेरी कहाँ|
हाल ए दिल हमने कभी उनसे छिपाया ही नही||
मेरी निगाहें है निगेहबान अभी तक उनकी|
जाने वाला तो कभी लौट कर आया ही नही||
याद तन्हाई मैं जब भी तेरी आयी हमको|
कैसे कह दूँ क़ि कभी अश्क बहाया ही नही||
तेरी दुनिया को हमारी ज़रूरत है सनम|
फिर ना कहना की कभी हमने बताया ही नही||