Thursday 12 January 2017

याद से निकलकर

कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय

तेरी यादो का तकिया लगा कर, 
हर रात सोता हूँ 
कभी तो ख्वाबो में आओगी तुम,
संभल- संभलकर 
या जब सुबह पहली किरण से 
नींद टूट जाएगी
तुम हकीकत बन जाओगी मेरी
याद से निकलकर ॥

2 comments:

  1. Yaado mai rahkar, khaboo mai anna vi ek bandgi hai :) Bhut khub

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    1. Bus sab khuda ki rehmat hai aur aap sabki mohabbat hai.

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