Wednesday 4 January 2017

बढ़ाए रखी है दाढ़ी..

कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय

चेहरा छिपाने, चेहरे पर लगाए रखी है दाढ़ी
माशूका की याद मे कुछ बढ़ाए रखी है दाढ़ी||

दाढ़ी सफेद करके, कुछ खुद सफेद हो लिए
कितने आसाराम को छिपाए रखी है दाढ़ी ||

दाढ़ी बढ़ा कर कुछ, दुर्जन डकैत कहाने लगे
कुछ को समाज मे साधु बनाए रखी है दाढ़ी ||

चोर की दाढ़ी मे तिनका, अब कहाँ मिलता है
चोरों ने तो यहाँ कब की कटाए रखी है दाढ़ी ||

कद नही है बढ़ता , दाढ़ी बढ़ा कर देख 'शिव'
बचपना चेहरे का खुद मे छिपाए रखी है दाढ़ी ||


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