Wednesday 3 August 2016

अगर भगवान तुम हमको, कही लड़की बना देते

कवि:- शिवदत्त श्रोत्रिय

अगर भगवान तुम हमको, कही लड़की बना देते
जहाँ वालों को हम अपने, इशारो पर नचा देते||

पहनते पाव मे सेंडल, लगते आँख मे काजल
बनाते राहगीरो को, नज़र के तीर से घायल ||

मोहल्ले गली वाले, सभी नज़रे गरम करते
हमे कुछ देख कर जीते, हमे कुछ देख कर मरते||

हमे जल्दी जगह बस मे, सिनेमा मे टिकट मिलती
किसी की जान कसम से, हमारी कोख मे पलती ||

अगर नाराज़ हो जाते, कई तोहफे मॅंगा लेते
किसी के तोहफे नही भाते, तो तोहमत लगा देते||

अगर भगवान तुम हमको, कही लड़की बना देते||

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