Tuesday 22 March 2016

मेरी खुशी बन गयी

तुम्हे देखा तो लगा,
कि कुछ मिल गया
जब कुछ मिला,
तो पाने की चाहत बढ़ी
जब चाहत बढ़ी,
तो हिम्मत बढ़ी
हिम्मत बढ़ी तो,
तुम्हारे पास आ बैठे
जब पास आ बैठे,
तो कुछ बात करना चाही
बात करना चाही,
तो शब्द ना मिले
शब्द ना मिले तो,
भाव मन मे रह गये
भाव मन मे रहे
तो मन उदास था
जो उदास मन मे था
उसे कलम ने उकेरा
कलम के चलने से,
पन्ने भर गये
पन्ने भर गये,
तो कलम खुश थी
कलम खुश थी
तो मै खुश था
इस तरह तुम ना जानते हुए भी
      मेरी खुशी बन गयी,

No comments:

Post a Comment