धूप से छाँव चुराते लोग,
हसते और हसाते लोग|
भाई से कभी मिला नही,
दुश्मन से मिलवाते लोग|
भक्त बैठकर सिंघासन पर,
ईश्वर को नचावाते लोग|
नेता का सिर झुका हुआ,
क्या-२ काम करते लोग|
घूँघट से शायद देख रही,
खुद से ही शरमाते लोग|
मैने चलना छोड़ दिया है,
फिर भी आते-जाते लोग|
"शिव" की खामोशी चीख रही,
क्या -२ राज बताते लोग||
हसते और हसाते लोग|
भाई से कभी मिला नही,
दुश्मन से मिलवाते लोग|
भक्त बैठकर सिंघासन पर,
ईश्वर को नचावाते लोग|
नेता का सिर झुका हुआ,
क्या-२ काम करते लोग|
घूँघट से शायद देख रही,
खुद से ही शरमाते लोग|
मैने चलना छोड़ दिया है,
फिर भी आते-जाते लोग|
"शिव" की खामोशी चीख रही,
क्या -२ राज बताते लोग||
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