संचय (Hindi Poems)
Hindi Poem
Sunday 19 April 2020
चिराग़ तेरे जलने का
न कर इंतेज़ार तूफ़ान के थमने का कुछ तो सिला मिलेगा रेत पर चलने का सूरज ने कर लिया है रात से सौदा आ गया है वक़्त चिराग़ तेरे जलने का चाक घुमा और फूँक दे मिट्टी में जान बारिश आयी फिर सम्हाले नहीं सम्हलने का || #शिवदत्त श्रोत्रिय
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