Wednesday 6 September 2017

फूलो के इम्तिहान का

कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय

मंदिर में काटों ने अपनी जगह बना ली
वक़्त आ गया है फूलो के इम्तिहान का  ||

सावन में भीगना कहाँ जुल्फों से खेलना
बारिश में जलता घर किसी किसान का ||

हालात बदलने की कल बात करता था
लापता है पता आज उसके मकान का ||

निगाह उठी आज तो महसूस करता हूँ
लाल सा दिखने लगा रंग आसमान का ||

लुटेरों की हुक़ूमत जहाजों पर हो गयी
अंदाजा किसे है दरिया के नुकसान का ||

आइना कहाँ दुनियाँ की नजर में  "शिव"
अपने ही सबूत मांगते तेरी पहचान का ||

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