Friday 24 March 2017

करो वंदना स्वीकार प्रभो

वासना से मुक्त हो मन,
    हो भक्ति का संचार प्रभो
जग दलदल के बंधन टूटे
    हो भक्तिमय संसार प्रभो ॥

वाणासुर को त्रिभुवन सौपा
    चरणों में किया नमस्कार प्रभो
भक्तो पर निज दृष्टि रखना
   करुणा बरसे करतार प्रभो ॥


कण-२ में विद्धमान हो नाथ
   तुम निराकार साकार प्रभो
दानी हो सब कुछ दे देते
    दे दो भक्ति अपार प्रभो ॥

अनसुना बचा नहीं कुछ तुमसे
  सुन लेना पापी की पुकार प्रभो
कुछ अच्छा मैंने किया नहीं
  दयनीय पर करो विचार प्रभो ॥

हो नाम तुम्हारा अंतः मन में
कर दो दूर विकार प्रभो
विनती मेरी शरण में ले लो
करो वंदना स्वीकार प्रभो ॥ 

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