Friday 16 September 2016

सफ़र आसान हो जाए

गुमनाम राहो पर एक नयी पहचान हो जाए
चलो कुछ दूर साथ तो, सफ़र आसान हो जाए||

होड़ मची है मिटाने को इंसानियत के निशान
रुक जाओ इससे पहले, ज़हां शमशान हो जाए||

वक़्त है, थाम लो, रिश्तो की बागडोर आज
ऐसा ना हो कि कल, भाई मेहमान हो जाए||

इंसान हो इंसानियत के हक अदा कर दो
ऐसा ना हो ये जिंदगी, एक एहसान हो जाए ||

अपनी ही खातिर आज तक जीते चले आए
आओ चलो किसी और की, मुस्कान हो जाए ||

No comments:

Post a Comment