Sunday 23 November 2014

एक तुच्छ बूँद सा जीवन दे दो

फसल खड़ी है खेतो मे
उष्णता उन्हे जलाती है
धधक रही है धरती भी
पर बूँद नज़र नही आती है||

किनारे बैठ मै देख रहा
बच्चे जो मेरे झुलस रहे
दिन तपन लिए जब आता है
रात तारो से भर जाती है||

पक्षी भी तड़फ़ उठे अब तो
चातक भी थक कर चूर हुआ
धरती भी प्यासी है कब से
बरसात क्यो नही आती है||

मै भी तेरा ही एक अंश हू
अंश को थोड़ा जीवन दे दो
एक झलक दिखा दो बदली की
एक तुच्छ बूँद सा जीवन दे दो||

तुम्ही से जग की घटा निराली
तुम से ही वन मे हरियाली
तर्पण जो थोड़ा तुम कर दो
तो दूर हो ये बदहाली||

अगर तेरे कोई उपर है
कोई तेरा सर्वेस्वर है
तो उससे जाकर तू कह दे
कि वो मेरा भी ईश्वर है||

5 comments:

  1. Ultimate Boss. Shiv you are genious, Keep it up this writing. God bless you and your talent.

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  2. itani geherayi se kaise soch lete ho.i am amazed.keep writing.

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    1. Bus situation ko sochta hu aur likh deta hu. baki sab iswar ki kripa hai.

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    2. beautiful thoughts come to few beautiful souls.u r gifted. Embrace it :)

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    3. its all blessing of people like you. Thanks a lot.

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