Thursday 23 October 2014

इस बार नही आ पाऊँगा

दुख शायद तुमको भी होगा,
पर खुश मैं भी ना रह पाऊँगा|
कोशिश तो मैं बहुत करूँगा
पर इस बार नही आ पाऊँगा||

ह्रदय विषप्त मेरा भी होगा
नयनो मे नीर आ जाएगा
दहलीज पर लड़ते लड़ते हा
आंशु फिर से मर जाएगा||
उत्तरदायित्वओ से दबा हुआ हू
इतनी जल्दी ना जीत पाऊँगा
पर मन मैं एक विश्वास है
जल्दी घर वापस आऊँगा||
कोशिश तो मैं बहुत करूँगा
पर इस बार नही आ पाऊँगा.......

जब सूरज की मध्यम किरण
चौखट को छूने आएगी
हवा भी जब भीगी -2
खुश्बू हर तरफ महकाएगी|
घर के आगन मे बैठे जब
सब गीत खुशी के गाएँगे
मन ही मन गुनगुनता रहूँगा
पर साथ नही गा पाऊँगा||
कोशिश तो मैं बहुत करूँगा
पर इस बार नही आ पाऊँगा..........

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