कवि:- शिवदत्त श्रोत्रिय
क्या परिचय दू मैं नारी का खुद परिचय बन जाता है
कभी रूप बन माता का वो मेरे सम्मुख आता है |
कभी रूप बन पत्नी का नज़रो पर वो छाता है
तो कभी रूप बन बेटी का मुझको इंशान बनता है |
तेरा वर्णन करने को जब ये नादान कलम उठाता है
तेरी अभिव्यति करने को मस्तक मेरा झुक जाता है
तेरी क्षमता समझने को ईश्वर जब कदम उठाता है
तो ईश्वर भी अपने अस्तित्व से अर्धनारीश्वर बन जाता है
आज उसी भारत भूमि मे ऐसा वक़्त भी आता है
जब किसी फूल को खिलने से पहले ही तोड़ा जाता है
हृदयघात ये कैसा एक मा के सीने मे होता होगा
जब किसी बच्ची को इस दुनिया मे आने से रोका होगा|
वही कली जब फूल बनके सारी बगिया महकाती है
पत्नी का वो रूप लेकर जब तेरे दर पर आती है
उसका ऐसा आना भी क्या से क्या कर देता है
इन ईट पत्थरो दीवारो को फिर से घर कर देता है|
घर की शोभा ग्रहशोभा को जब, घर मे दुत्कारा जाता है
रोब दिखाने ताक़त का जब, उसको मारा जाता है
सात जन्म का धागा तो उस वक़्त ही खोला जाता है
पति पत्नी का रिश्ता जब पैसो से तोला जाता है|
जब दया ममता स्नेह मातरत्व विनम्रता प्रेम त्याग तपस्या सेवा को विधाता ने एक साथ मिलाया होगा
तो सीप चमकता मोती सा प्रतिबिंब स्त्री का पाया होगा|
जब उसी स्त्री की इज़्ज़त को सरेआंम उछाला जाता है
इसी समाज के बीच एक दुशासन पाला जाता है
जब देख दशा इस देश की सारी जनता सोती है
उस वक़्त भी जाने कहा-2 कितनी दामिनी रोती है|
तेरी इस हालत पर दुख तो, देश को होता होगा
हसे कोई भी, पर तेरा निर्माता भाग्य विधाता आज भी रोता होगा|
तेरा निर्माता भाग्य विधाता आज भी रोता होगा
क्योकि उसकी बनाई दुनिया मे, नारी का ऐसा हाल भी होता होगा|
चेतावनी:-
जान बूझकर क्यो सता रहा तू इस आधी आबादी को|
क्यो अपने हाथो दावत देता तू अपनी बर्बादी को||
What a comment on society Situation....
ReplyDeleteA huge round of applauds......
ReplyDeleteWelcome....woh galti se applause ka applauds ho gaya... :p
Deleteno issue, itna to smaj me aa hi jaata hai.
Deletehmmmm
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