कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय
तेरी यादो का तकिया लगा कर,
हर रात सोता हूँ
कभी तो ख्वाबो में आओगी तुम,
संभल- संभलकर
या जब सुबह पहली किरण से
नींद टूट जाएगी
तुम हकीकत बन जाओगी मेरी
याद से निकलकर ॥
तेरी यादो का तकिया लगा कर,
हर रात सोता हूँ
कभी तो ख्वाबो में आओगी तुम,
संभल- संभलकर
या जब सुबह पहली किरण से
नींद टूट जाएगी
तुम हकीकत बन जाओगी मेरी
याद से निकलकर ॥
Yaado mai rahkar, khaboo mai anna vi ek bandgi hai :) Bhut khub
ReplyDeleteBus sab khuda ki rehmat hai aur aap sabki mohabbat hai.
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