Friday 24 March 2017

करो वंदना स्वीकार प्रभो

वासना से मुक्त हो मन,
    हो भक्ति का संचार प्रभो
जग दलदल के बंधन टूटे
    हो भक्तिमय संसार प्रभो ॥

वाणासुर को त्रिभुवन सौपा
    चरणों में किया नमस्कार प्रभो
भक्तो पर निज दृष्टि रखना
   करुणा बरसे करतार प्रभो ॥


कण-२ में विद्धमान हो नाथ
   तुम निराकार साकार प्रभो
दानी हो सब कुछ दे देते
    दे दो भक्ति अपार प्रभो ॥

अनसुना बचा नहीं कुछ तुमसे
  सुन लेना पापी की पुकार प्रभो
कुछ अच्छा मैंने किया नहीं
  दयनीय पर करो विचार प्रभो ॥

हो नाम तुम्हारा अंतः मन में
कर दो दूर विकार प्रभो
विनती मेरी शरण में ले लो
करो वंदना स्वीकार प्रभो ॥ 

Wednesday 15 March 2017

अंतिम यात्रा

  अंतिम यात्रा, भाग -१

किसी की चूड़ियाँ टूटेंगी,
कुछ की उम्मीदे मुझसे
विदा लेगी रूह जब
मुस्करा कर मुझसे
कितनी बार बुलाने भी जो
रिश्ते नहीं आये
दौड़ते चले आएंगे वो तब
आँशु बहाये
कितने आँशु गिरेंगे तब
जिस्म पर मेरे
रुख्सती में सब खड़े होंगे
मेरी मिटटी को घेरे ||

अंतिम बार फिर नहलाया जायेगा
बाद सजाया जायेगा
अंतिम दर्शन है जल्दी आओ
कुछ को बुलाया जायेगा
अंतिम यात्रा होगी पर
मेरे कदम न हिलेंगे
कांधों पर लेकर कब तलक
सब दूर चलेंगे
समुन्दर कि जिसका कोई छोर नहीं
आँशु है सबके जल्दी रुकेंगें
शमशान तक सब जोश से आएँगे
घर पहुचने पर थकेंगे ||

जब अंतिम बार जला होगा
शरीर, मरघटी में
मेरी राख बहा दी गयी होगी
पानी की तलहटी में
ब्रह्मभोज खिलाओगे तुम कुछ
ब्रह्मिनो को बुलाकर
मेरी यादो समेट दोगे तस्वीर पर
फूलमाला चढ़ाकर
मेरी लाठी, मेरा चश्मा, मेरी डायरी
छिपा दोगे
मेरी शक्सियत का हर एक निशान
मिटा दोगे ||


क्या कोई मुझे भी याद करेगा?
मेरे बारे में कुछ बात करेगा,
उनकी सदा मुझ तक पहुचे कैसे भी
ऐसी कोई फ़रियाद करेगा ||