Sunday 17 May 2020

लोगो को मुस्कराते समय

नगमे  मोहब्बत के,  होठो से गुनगुनाते समय
अंदर से रोते देखा, लोगो को मुस्कराते समय |

जुबां पर रहता है हर वक़्त एक नाम तुम्हारा
गला भर क्यों गया है आज तुमको बुलाते समय |

ख़ुशी और ग़म के पैगाम बाटते फिरते हो
खत-इजहारे-मौहब्बत लाना डाकिया आते समय |

जिंदगी के सफर में कभी मुख़ातिब हो न हो
एक तेरा दीदार चाहिए दुनिया से जाते समय |

ये दिल जिसमे तुम रहते हो  तुम्हारा ही घर है
थोड़ा सा तो रहम करो अपना घर जलाते हुए ||

#शिवदत्त श्रोत्रिय

Sunday 19 April 2020

चिराग़ तेरे जलने का

न कर इंतेज़ार तूफ़ान के थमने का कुछ तो सिला मिलेगा रेत पर चलने का सूरज ने कर लिया है रात से सौदा आ गया है वक़्त चिराग़ तेरे जलने का चाक घुमा और फूँक दे मिट्टी में जान बारिश आयी फिर सम्हाले नहीं सम्हलने का || #शिवदत्त श्रोत्रिय