नगमे मोहब्बत के, होठो से गुनगुनाते समय
अंदर से रोते देखा, लोगो को मुस्कराते समय |
जुबां पर रहता है हर वक़्त एक नाम तुम्हारा
गला भर क्यों गया है आज तुमको बुलाते समय |
ख़ुशी और ग़म के पैगाम बाटते फिरते हो
खत-इजहारे-मौहब्बत लाना डाकिया आते समय |
जिंदगी के सफर में कभी मुख़ातिब हो न हो
एक तेरा दीदार चाहिए दुनिया से जाते समय |
ये दिल जिसमे तुम रहते हो तुम्हारा ही घर है
थोड़ा सा तो रहम करो अपना घर जलाते हुए ||
#शिवदत्त श्रोत्रिय
अंदर से रोते देखा, लोगो को मुस्कराते समय |
जुबां पर रहता है हर वक़्त एक नाम तुम्हारा
गला भर क्यों गया है आज तुमको बुलाते समय |
ख़ुशी और ग़म के पैगाम बाटते फिरते हो
खत-इजहारे-मौहब्बत लाना डाकिया आते समय |
जिंदगी के सफर में कभी मुख़ातिब हो न हो
एक तेरा दीदार चाहिए दुनिया से जाते समय |
ये दिल जिसमे तुम रहते हो तुम्हारा ही घर है
थोड़ा सा तो रहम करो अपना घर जलाते हुए ||
#शिवदत्त श्रोत्रिय