संचय (Hindi Poems)
Hindi Poem
Monday, 19 December 2016
तू मेरी नज़रों मे ना खुदा हो जाए
अच्छा होगा कि अब तू मुझसे जुदा हो जाए, इससे पहले कि कोई मुझसे खता हो जाए इसी तरह अगर नज़रों से नज़र मिलती रही, डरता हूँ, तू मेरी नज़रों मे ना खुदा हो जाए || कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय
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