Monday 12 December 2016

किसी और का हो जाऊ क्यों होने नहीं देता

कवि:  शिवदत्त श्रोत्रिय 

वो चेहरा खुद के अलावा कहीं खोने नहीं देता
किसी और का हो जाऊ क्यों होने नहीं देता ||

अजीब सी बेचैनी चेहरे पर रहती है आजकल
तन्हाइयो मे भी मुझको क्यो रोने नहीं देता ||

दिन तो गुजर जाता, जीने की जद्दोजहद मे
रातो को मगर चैन से क्यो सोने नहीं देता ||

सहूलियत खोजने की आदत सी हो गयी है
बोझा ज़िम्मेदारियों का क्यो ढोने नहीं देता ||

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