Sunday 1 May 2016

मशहूर हो गये

कवि:- शिवदत्त श्रोत्रिय

जो भी आए पास
           सब दूर हो गये
तोड़ा हुए बदनाम
           तो मशहूर हो गये||

कल तक जो दूसरो से
          माँगकर के जिंदा थे
जीता चुनाव आज जो
          वो हुजूर हो गये||

हम भी तो कल तक
          दफ़न थे चन्द पन्नो मे
बाजार मे बिके जो
          सबको मंजूर हो गये||

पहाड़ो से टकराकर के
          मैने चलना सीखा था
सीसे के दिल के आंगे
          हम चकनाचूर हो गये||

तुमको बड़ा गुमान था
          हुस्न की जागीर पर
किसी की आँखो के
          हम भी नूर हो गये||

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