कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय
कैसे दिखा दूँ, जख्म ये दिल का
ये जख्म बहुत ही गहरा है,
जुदाई तेरी जख्म बड़ाती
मरहम तेरा चेहरा है ||
ना जाने मैं कैसे तुझसे जुड़ा
ये सवाल बहुत ही गहरा है,
तुमको सांसो मै छिपालू
पर सांसो पर भी पहरा है||
तुम्हे सुनाता अपनी आवाज़
शायद तुझे कुछ आए याद,
मेरी आवाज़ो का अर्थ ना निकला
लगता है सनम मेरा बहरा है ||
ख्वाबों मै तुम मेरे ख्वाब मै आयीं
वो ख्वाब बहुत ही गहरा था
घूँघट पहने तुम बैठी थी
माथे पर मेरे सेहरा था ||
इससे पहले की घूँघट उठता
मेरा थोड़ा सा गम घटता,
टूट गया वो मेरा सपना
वक़्त जहा पर ठहरा था||
कैसे दिखा दूँ, जख्म ये दिल का
ये जख्म बहुत ही गहरा है||
कैसे दिखा दूँ, जख्म ये दिल का
ये जख्म बहुत ही गहरा है,
जुदाई तेरी जख्म बड़ाती
मरहम तेरा चेहरा है ||
ना जाने मैं कैसे तुझसे जुड़ा
ये सवाल बहुत ही गहरा है,
तुमको सांसो मै छिपालू
पर सांसो पर भी पहरा है||
तुम्हे सुनाता अपनी आवाज़
शायद तुझे कुछ आए याद,
मेरी आवाज़ो का अर्थ ना निकला
लगता है सनम मेरा बहरा है ||
ख्वाबों मै तुम मेरे ख्वाब मै आयीं
वो ख्वाब बहुत ही गहरा था
घूँघट पहने तुम बैठी थी
माथे पर मेरे सेहरा था ||
इससे पहले की घूँघट उठता
मेरा थोड़ा सा गम घटता,
टूट गया वो मेरा सपना
वक़्त जहा पर ठहरा था||
कैसे दिखा दूँ, जख्म ये दिल का
ये जख्म बहुत ही गहरा है||
Wah wah...
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