Friday 21 April 2017

भारत दिखलाने आया हूँ

रंग रूप कई वेष यहाँ पर
रहते है कई देश यहाँ पर
कोई तिलक लगाकर चलता
कोई टोपी सजा के चलता
कोई हाथ मिलाने वाला
कोई गले लगाकर मिलता
कितने तौर-तरीके, सबसे मिलवाने आया हूँ
क्या तुम हो तैयार? भारत दिखलाने आया हूँ


एक कहे मंदिर में रब है
दूजा कहे खुदा में सब है
तीजा कहे चलो गुरुद्वारा
चौथा कहे कहाँ और कब है
मैं कहता माँ बाप की सेवा
दुनिया में सबसे बड़ा मजहब है ||
हर बेटे को कर्त्तव्य, याद दिलवाने आया हूँ
क्या तुम हो तैयार? भारत दिखलाने आया हूँ |

कोई मांगे मंदिर के अंदर
कोई मांगे मंदिर के बाहर
कोई कहे मदीना घर में
कोई पाक बने मक्का जाकर
किसी के घर से खाना फिकता
कोई खाता घर घर से लाकर
हर कोई मांग रहा यहाँ, अनुबोध कराने आया हूँ
क्या तुम हो तैयार?, तुम्हे भारत दिखलाने आया हूँ  || 

No comments:

Post a Comment