संचय (Hindi Poems)
Hindi Poem
Sunday 6 March 2016
"माँ" तेरे पास तक
कवि:- शिवदत्त श्रोत्रिय
उठा कर हिमालय हाथ मे,
कलम का एक रूप दूँ
घोलकर सागर मे स्याही,
उससे फिर एक बूँद लूँ|
कागज बना लूँ जोड़कर,
धरती से आकाश तक
फिर भी लिख सकता नही,
"माँ" तेरे पास तक ||
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