Sunday 16 August 2015

तुम बिन रह नही सकता

ये कहना ग़लत था मेरा,
       क़ि तुम बिन रह नही सकता||

एक अटूट भरोसा था
      पर अब वैसा व्यवहार नही|
बंधन टूट चुका है
      शायद दोनो में प्यार नही||
मेरे इल्ज़ामो की फेहरिस्त तो
     बड़ी लंबी है मगर सुन ले
तुझे बेवफा कह दे कोई
     ये मैं सह नही सकता||

ये कहना ग़लत था मेरा...

हर रोज तस्वीर से तुम्हारी
     तुम्हे महसूस करता हूँ|
तुम जा चुकी हो फिर भी
     तुम्हे खोने से डरता हूँ||
इंतजार तो आज भी है क़ि
     तुम लौट आओ कैसे भी
फिर भी अब खुद से
     ये मैं कह नही सकता ||

ये कहना ग़लत था मेरा...

कुछ अपने हसीन लम्हो को
      कागज पर सज़ा दिया|
तुम्हारी यादो को समेटा
      एक नगमा बना दिया||
हर दिन टूट जाता है कुछ मुझमे
      तुम्हे समेटने की चाहत में
फिर भी मुस्कराता हूँ मैं
      ये आंशू बह नही सकता||

ये कहना ग़लत था मेरा...

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