Thursday, 21 August 2014

माँ का साया


आज बैठकर सोचा मैने
क्या खोया क्या पाया है
एक चीज़ जो साथ रही
वो तो बस माँ का साया है||

आज मुझे हा याद नही
अपने बचपन की बाते
माँ ने क्या-२ कष्ट झेले
तब मिली मुझे ये काया है||

संसार मे जब मैने जन्म लिया
ना जाने कितना रोया था
पर सारी दुनिया को भूल
माँ के आचल मे निडर हो सोया था||

मुझे ठीक से याद नही
तब उम्र बड़ी मेरी छोटी थी
माँ ने जो मेरे बाद मे खाई
शायद वो सूखी रोटी थी||

जब भी मै बीमाँर पड़ा
दवाये दी मुझे सारे जहा की
मै रात को ठीक से सो पाया
क्योकि रात ही नही हुई उस दिन माँ की||

बच्चो की खुशियो की खातिर
जो सारी-२ रात जागी है
ऐसी माँ को दामन छोड़
ये दुनिया क्यो आज भागी है||

याद नही तुझको वो दिन
जब नीद तुझे ना आती थी
तब माँ तुझको पास बिठाकर
मीठी सी लोरी सुनाती थी||

तेरी खुशियो की खातिर वो
हर दिन मन्दिर जाती थी
दूर गया जब नौकरी पर तू
भूल गया वो पाती थी||

जिसने तुझको चलना सिखलाया
तू उसको चाल सिखाता है
जिसने तुझको गिनती सिखलाई
तू उसको काम गिनता है||

जिसका हाथ पकड़ कर चलना सीखा
तू आज उसे दोडाता है
जिसने तुझको संसार दिखाया
तू उसको आंख दिखता है||

जब भी तुझ पर कोई आँच आई
तब माँ का खून था खौल गया
दो पैसे क्या कमाँने लगा
तू माँ को अपनी भूल गया||

Monday, 18 August 2014

जिंदगी ऐसी ना रही और ना वैसी रही

जिंदगी ऐसी ना रही और ना वैसी रही
तुमसे मिलकर ना ये पहले जैसी रही
तुम जो कहती हो, वही लगता है सही
तुम ना मिलती तो, रह जाती बाते अनकही||

तुम जो दिखाती हो अब दिखता है वही
पर अभी तक तुम मिली क्यो नही
छुपी हो यही मेरे आस-पास कही
तुम्हे पाकर के करना है मुझे अनकही||

जब सोचता हूँ कि मुझे तुम मिलोगी कभी
तो लगता है कि जैसे मिल गयी हर खुशी
पर डरता हूँ कि तुम खो ना जाओ कभी
मेरी कहानी ना रह जाए  फिर अनकही||

आँखो मै मेरे जो है सपने बसे
डरता हूँ न सुनके ये दुनिया  हसे
मेरा हर सपना है तुमसे जुड़ा
आज या कल हुमको मिलाएगा खुदा||

सोचकर बस यही मै अब जी रहा हूँ
भूल भी चुका हूँ की खुद मै कहा हूँ
लौट आ तू अब सबकुछ छोड़कर
मिल जा मुझे अब किसी मोड़ पर||

Saturday, 9 August 2014

ऐसी मेरी एक .बहना है


ऐसी मेरी एक .बहना है
नन्ही छोटी सी चुलबुल सी
घर आँगन मे वो बुलबुल सी
फूलो सी जिसकी मुस्कान है
जिसके अस्तित्व से घर मे जान है
उसके बारे मे क्या लिखू
वो खुद ही एक पहचान है
मै चरण पदिक हू अगर तो
वो हीरो जड़ा एक गहना है
ऐसी मेरी एक .बहना है...........


कितनी खुशिया थी उस पल मे
जब साथ-२ हम खेला करते
छोटी छोटी सी नाराजी
तो कभी हम आपस मे लड़ते
कभी मानती वो मुझको तो
कभी मै उसको मानता था
उपर से गुस्सा कितना भी
पर मन ही मन मुस्काता था
गुस्से मे वो मुझसे कहती
मुझको नही अब यहाँ रहना है
ऐसी मेरी एक बहना है...........


घर से जब मै दूर गया
पैसे चार कमाने को
कुछ सपने पूरे करने को
कुछ सपने नये बनाने को
बहना सब को है बतलाती
कि भैया बहुत कमाता है
रहता है घर से दूर बहुत
पर मुझसे मिलने आता है
मेरा भाई लाखो मे एक
सबसे उसका ये  कहना है
ऐसी मेरी एक बहना है...........