Sunday 27 July 2014

किताबो की तरह

गम बड़े आते है जिंदगी मे, कातिल की निगाहो की तरह
छुपा लेती हो इन्हे आचल मे, मेरे गुनाहो की तरह||

बिखरा पड़ा हू मै कब से, चारो ओर खुले हाथो सा
समेट लो मुझे अपने दामन मे, बाहो की तरह||

तेरा मेरा तो लेना देना तो बहुत पुराना है
बस याद रख तू मुझे, हिसाबो की तरह||

तेरे बदन की लिखावट मे है उतार और चढ़ाव
कैसे मै पढ़ूँ उन्हे ,  किताबो की तरह ||

भूल से भूल मत जाना मेरी यादो की महफ़िल को
वरना हर रात सताऊंगा, ख्वाबो की तरह ||

अंधेरे मे रह कर रोशनी करना लिखा है किस्मत मे
मै तो बस जलता जाऊंगा, चिरागो की तरह ||

8 comments:

  1. Dedicated to whom?

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  2. You never reply .......

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  3. I couldn't see the previous comment before. That's why.

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    1. I was travelling that time, didn't get time to comment. Sorry for that.

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    2. That's okay :) U seem too sensitive .

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