Sunday 5 July 2015

तुम्हारे हाथो में

अब सौप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथो में,
है जीत तुम्हारे  हाथोमेंऔर  हार  तुम्हारे  हाथो  में.

मेरा निश्चय बस एक यही, एक बार तुम्हे पा जाऊ में,
अर्पण कर दू दुनिया भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथोमे.

में जग में रहू तो ऐसे रहू, ज्यो जल में कमल का फुल रहे,
मेरे  सब  गुणदोष  समर्पितकर्तार   तुम्हारे  हाथो  में.

यदि मानव का मुझे जन्म मिले,तो तव चरणों एक पुजारी बनू,
ईस पूजक की  ईक -2  रगका, हो  तार  तुम्हारे  हाथो  में.

जब जब संसारका कैदी बनू, निष्काम भाव से कर्म करू,
फिर अंत समय में प्राण तजुसाकार  तुम्हारे  हाथो में.

मुज्मे तुजमे बस भेद यही, में नर हूँ तुम नारायण हो,
में  हूँ  संसार  के  हाथो  में , संसार  तुम्हारे  हाथो   में

10 comments:

  1. Are you fine?

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    1. गुज़र रहे है हम ज़िंदगी के उस दौर से,
      कि अब ना गुजरेंगे कभी जिंदगी मै इस दौर से

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    2. Aisa kya ho gaya...?

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    3. Tell me tell me

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    4. ना वो मिलती है, ना मैं रुकता हूँ|
      समझ नही आता, रास्ता ग़लत है या मंज़िल||

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    5. Lagta hai bohot buri hai...... but what makes you like her so much?

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  2. Very nice poem.... :)

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  3. Ultimate dude .

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