अब सौप दिया
इस जीवन का, सब
भार तुम्हारे हाथो
में,
है जीत तुम्हारे हाथोमें
, और हार तुम्हारे हाथो में.
मेरा निश्चय बस एक
यही, एक बार
तुम्हे पा जाऊ
में,
अर्पण कर दू दुनिया
भर का, सब प्यार
तुम्हारे हाथोमे.
में जग में रहू तो
ऐसे रहू, ज्यो
जल में कमल का
फुल रहे,
मेरे सब गुणदोष समर्पित, कर्तार तुम्हारे हाथो में.
यदि मानव का मुझे जन्म
मिले,तो तव
चरणों एक पुजारी
बनू,
ईस पूजक की ईक -2 रगका,
हो तार तुम्हारे हाथो में.
जब जब संसारका
कैदी बनू, निष्काम
भाव से कर्म
करू,
फिर अंत समय
में प्राण तजु, साकार तुम्हारे हाथो
में.
मुज्मे तुजमे बस भेद
यही, में नर
हूँ तुम नारायण
हो,
में हूँ संसार के हाथो में
, संसार तुम्हारे हाथो में…
Are you fine?
ReplyDeleteगुज़र रहे है हम ज़िंदगी के उस दौर से,
Deleteकि अब ना गुजरेंगे कभी जिंदगी मै इस दौर से
Aisa kya ho gaya...?
DeleteTell me tell me
Deleteना वो मिलती है, ना मैं रुकता हूँ|
Deleteसमझ नही आता, रास्ता ग़लत है या मंज़िल||
Lagta hai bohot buri hai...... but what makes you like her so much?
DeleteVery nice poem.... :)
ReplyDeleteबहुत आभार आपका
DeleteUltimate dude .
ReplyDeleteबहुत आभार
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