Sunday, 23 November 2014

एक तुच्छ बूँद सा जीवन दे दो

फसल खड़ी है खेतो मे
उष्णता उन्हे जलाती है
धधक रही है धरती भी
पर बूँद नज़र नही आती है||

किनारे बैठ मै देख रहा
बच्चे जो मेरे झुलस रहे
दिन तपन लिए जब आता है
रात तारो से भर जाती है||

पक्षी भी तड़फ़ उठे अब तो
चातक भी थक कर चूर हुआ
धरती भी प्यासी है कब से
बरसात क्यो नही आती है||

मै भी तेरा ही एक अंश हू
अंश को थोड़ा जीवन दे दो
एक झलक दिखा दो बदली की
एक तुच्छ बूँद सा जीवन दे दो||

तुम्ही से जग की घटा निराली
तुम से ही वन मे हरियाली
तर्पण जो थोड़ा तुम कर दो
तो दूर हो ये बदहाली||

अगर तेरे कोई उपर है
कोई तेरा सर्वेस्वर है
तो उससे जाकर तू कह दे
कि वो मेरा भी ईश्वर है||

Wednesday, 19 November 2014

विज्ञान और धर्म



विज्ञान और धर्म की ऐसी एक पहचान हो
विज्ञान ही धर्म हो और धर्म ही विज्ञान हो|
आतंक हिंसा भेदभाव मिटें इस संसार से
एक नया युग बने रहे जहाँ सब प्यार से||
विज्ञान जो है सिमट गया उसकी नयी पहचान हो
मेरा तो कहना है, कि हर आदमी इंशान हो||
हर आदमी पढ़े बढ़े नये-2 अनुसंधान हो
उन्नति के रास्ते चले, पर सावधान हो||
प्यार का संवाद समस्त विश्व के दरमियान हो
महानता का वर्चस्व लिए विज्ञान ही महान हो||